Rai Dhanpat Singh Granthawali
哈里亚纳语 Ragni 应用程序
包含广告
100+
全球下载量-
捆绑包ID
com.ak.raidhanpatsingh
-
开发人员
A.K.Sharma -
应用类型
图书与工具书 -
价格
免费 -
更新时间
1970年01月01日 -
0个评分
0
-
捆绑包ID
com.ak.raidhanpatsingh
-
开发人员
A.K.Sharma -
应用类型
图书与工具书
-
价格
免费 -
更新时间
1970年01月01日 -
0个评分
0
屏幕截图和多媒体
应用信息
描述
राय धनपत सिंह निंदाना जीवन परिचय:अपने जीवन-काल में ही लोकप्रियता की बुलंदियों को छू लेने वाले राय धनपत सिंह निंदाना का जीवन हरियाणा के लोक के लिए किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वे अपने जीवन में सांग के पर्याय बन चुके थे। उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को निम्न बिंदुओं में समझा जा सकता है –
जन्म एवं माता-पिता -
राय धनपत सिंह का जन्म 9 अगस्त, 1912 को वर्तमान रोहतक जिला में गांव निंदाना में पिता श्री चंदाराम और माता श्रीमती भोली देवी के घर मिरासी जाति में हुआ। हरियाणा में यह जाति मीर और डूम आदि नामों से भी जानी जाती है। मिरासी जाति अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है और वर्तमान समय में भी शैक्षिक दृष्टि से अति पिछड़ी जातियों में आती है। जातियों के सामूहिक स्वभाव के मामले में मिरासी जाति गायन के लिए विख्यात है। गायन कला इस जाति का अकस्मात् सामूहिक गुण है। राय धनपत सिंह ने अपने जन्मस्थान के बारे में बताया है –
गरावड़ खरकड़ा मदीणा बलंभा सब नाम,
तँ सुणिए सीम जोड़ के गाम,
खेड़ी, महम, भैण, सामायण गौरी,
फरमाणा गूगाहेड़ी जाण गौरी,
खरक बैंसी जायब भराण गौरी, बीच निंदाणा गाम सै।।
राय धनपत सिंह हरियाणा में एक ऐसी जाति से संबंधित थे जिसकी संख्या बहुत कम है। अन्य अनुसूचित जातियों में भी यह अति पिछड़ी हुई है। सो इस जाति से आकर सांग के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाना एक चुनौतिपूर्ण काम था। हरियाणा में जहां एक और बाजे भगत, लख्मीचंद, चंद्रलाल बादी, मांगेराम, रामकिशन व्यास आदि का सिक्का जम चुका था, वहीं अपने सांगों की उत्कृष्टता, अभिनय कौशल, सुरीले गायन, असरदार आवाज और विलक्षण प्रतिभा से राय धनपत सिंह ने अपनी अमिट छाप छोड़ते हुए अपना अलग मुकाम बनाया। यह जहां एक और राय धनपत सिंह के विराट व्यक्तित्व का द्योतक है, वही हरियाणा की जनता की स्वीकार्यता का भी परिचायक है। हरियाणा की सांग-प्रेमी जनता ने उन्हें सिर आंखों बिठाया।
शिक्षा -
राय धनपत सिंह की जाति में वर्तमान समय में भी शिक्षा का अभाव ही है। उन्होंने उस समय मिडल तक की शिक्षा ग्रहण की थी जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि थी। उस समय मिडल पास होना ही बड़ी बात मानी जाती थी। स्कूल में आते-जाते उनका ध्यान सांग-रागनियों की ओर उन्मुख हो गया –
जमुवा नाम देश म्हं कढ़ऱ्या, धनपत सिंह मिडल तक पढ़ऱया
अक्खन काणा चित पै चढ़ऱ्या चाली भूल कलाम मेरा।
तेरे तै पहले मैं जांगा इब डटणा आड़े हराम मेरा ।
राय धनपत सिंह मिडल कक्षा तक स्कूल में पढ़े और उसके बाद सांग के क्षेत्र ने उन्हें अपनी ओर खींच लिया। उन्होंने सांग को अपने जीवन का लक्ष्य बनाने का कारण व अवसर का जिक्र करते हुए एक रागणी में लिखा है कि मिडल तक आते-आते उसे गाने से प्रेम हो गया था। फिर स्कूली शिक्षा क्या मायने रखती थी। सीधे जमुवा मीर के पास पहुंचे और उनके चरणों में नमन करके उन्हें अपना गुरु धारण कर लिया। स्वयं राय जी के शब्दों में –
नगर निंदाने तै चलकै मैं पढ़ण मदीने आग्या।
स्लेट फोड़ दी तख्ती तोड़ दी बस्ता उड़े बगाग्या ।
हैडमास्टर न्यूं बोल्या तेरै बहम कोण सा लाग्या।
मैं बोल्या गुरु माफ करो मेरै इश्क गाण का जाग्या ।
धनपत सिंह समर जमुवा फेर जोत देबी की बालूंगा।
गुरु -
उस समय रोहतक जिले में सुनारियां गांव में जमुवा मीर जी का बड़ा नाम हुआ। सांग और रागणी विधा में जमुवा मीर की प्रसिद्धि हो चुकी थी। वे लिखते भी थे और गाते भी थे। राय धनपत सिंह अपने अध्ययन के दिनों में ही उनके संपर्क में आ गए और उनको अपना गुरु बनाकर मात्र सत्रह वर्ष की आयु में अपना सांग का बेड़ा बांध लिया। जमुवा मीर को अपना गुरु बनाने के संबंध में वे लिखते हैं - रोहतक तें परे नैं चल्या गया जहां पै बसता सुनारी गाम ।
उड़े देस्सा और मामन देखै कवि देखै जमवा मीर।
रामभगत और राजु देखै मांगे देखै सबके पीर।
वहाँ जमुवा का चेल्या बणग्या मेरै ज्ञान का लाग्या तीर ।।
धनपत सिंह हुशियाराँ कै इसे छंद मिलेंगे छीदे ।।
देसराज और मामन भी जमुवा मीर के शिष्य थे। उन्होंने भी उन्हें अपना गुरु धारण कर लिया। राय धनपत जी अपने गुरु के प्रति पूर्ण रूप से कृतज्ञ है तथा वे स्वयं को उन्हें समर्पित करके चलते हैं। वे लिखते हैं कि एक व्यक्ति या कलाकार के रूप में उन्हें पूर्णता उनके गुरु के कारण ही मिली। वे धनपत से धनपत सिंह या राय साहब हो गए -
इज्जत तलब रंग होग्या, राजा किस ढंग होग्या ।
धनपत तैं धनपत सिंह होग्या, दिल तैं जिब जमवा मनाया।
राय धनपत सिंह अपने गुरु को ज्ञान का भंडार मानते है -
धनपत सिंह ड्रामा छाँट्या, भेद सब जमुवा धोरै पाट्या।
हे री मेरी माँ ओड़ै घाटा ना गुण ज्ञान का।
जड़े विद्या का भंडार हो ।।
热门IAP
--
应用排名趋势
下载量趋势
近7天
近30天
近90天
自定义
【A.K.Sharma】的更多应用
| # | 应用 | 应用类型 | 应用价格 | 应用发布日期 | |
| 1 |
|
Kamlesh Kavay Kunj
A.K.Sharma
|
图书与工具书 | 免费 | 2025年10月30日 |
| 2 |
|
Shree Krishan Leela
A.K.Sharma
|
图书与工具书 | 免费 | 2025年11月20日 |
| 3 |
|
Rai Dhanpat Singh Granthawali
A.K.Sharma
|
图书与工具书 | 免费 | 2025年11月23日 |




***********

版本历史